आज हम उन पुरानी बातों को सोचते है अपना वो एग्जाम से पहले की रात की टेंशन,
#लेखक फर्जी जनहित में अर्जी
#काला
क्यों नफ़रत है काले रंग से जब पूजते श्याम और काली को,शादी के लिए रंग चाइए गोरा भले क्यों न दिल से खाली हो।
आंखो में काजल लगा के यू जो इतराते हो,नज़र से बचाने के लिए काला टीका क्यों लगाते हो??
काला धागा बांध के जो बेखौफ यू हो जाते हो,क्यों काले कवो को बुला के खाना खिलाते हो।
गोरे मुखड़े पर काले तिल की तारीफ़ किए थकते नहीं,और कोई काली बिली रास्ता काट जाए तो उसे आगे बढते नहीं।
इतना जो मन में संकोच लिए बैठे हो क्यों अपने कंधो पर अंधविश्वास का बोझ लिए बैठे हो।
रंग के जंजाल में कबतक रहोगे इस हाल में, सबको राख होना है एक दिन मत करो गुरूर इस खाल पे।
#mani
मैं तीन बहनों का एक भाई था और वो भी उनसे बड़ा, बचपन से ही उनकी परवाह करता रहा मां ने सिखाया था। मेरा बचपन थे वो अभी हाल ही...