Saturday, December 28, 2024

मैं श्रेष्ठ हूं

           
अगर आपको अपनी आस्था पर भरोसा है और आप यह यकीन रखते हैं कि आपके किए गए अच्छे कर्म आपको पलट कर मिलेंगे, और आपने हर प्रार्थना में बिना किसी स्वार्थ के सबकी भलाई की कामना की है, तो यकीन मानिए, आपके भले की कामना भी कोई और कर रहा होगा। इस दुनिया में अच्छे लोगों के लिए बहुत अच्छाई है और बुरे लोगों के लिए उनके जैसे ही लोग। यह वहम नहीं होना चाहिए कि आपके गलत कर्मों की गिनती नहीं हो रही।

दूसरे लोग अपनी सोच आप पर थोपने की कोशिश करेंगे। हर कोई खुद को दूसरों से श्रेष्ठ बताने की कोशिश करता है। इसके आधार धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्रवाद, रंग, या आपके काम का स्वरूप भी हो सकता है। हर किसी को अपने समर्थकों की संख्या बढ़ानी है ताकि वे दूसरों को दबा सकें। लेकिन यह कितना सही है? जो इस तरह के भेदभाव के दलदल में फंस गया, वह कभी कामयाब नहीं हो सका।

            क्या आपने कभी अपनी दुकान पर ग्राहक से उसके धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव किया? किसी अस्पताल में डॉक्टर से इलाज कराने से पहले उसकी जाति पूछी? किसी घायल की मदद करने से पहले उसका गोत्र पूछा? स्कूल में किसी शिक्षक से यह कहा कि वह आपके बच्चों को न पढ़ाए क्योंकि वह किसी खास जाति या धर्म का है? किसी भूखे को खाना खिलाने से पहले उससे सवाल पूछे? या किसी जॉब इंटरव्यू में अपने बॉस से धर्म-जाति के आधार पर नौकरी देने से इनकार किया?

              सच्चाई यह है कि जो लोग कामयाब होते हैं, वे भेदभाव से ऊपर उठ जाते हैं। आपको भी अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए। दूसरों से बेहतर बनने की बजाय खुद को इतना योग्य बनाइए कि आप दूसरों को भी सही राह दिखा सकें। आपके लिए कोई और नहीं आएगा, न ही कोई आपको जिंदगी भर सहारा देगा। माता-पिता चलना सिखाते हैं, लेकिन जीवन में कहां जाना है, यह आपको खुद तय करना पड़ता है।

इस दोगलेपन को त्यागिए, जो आपको अंदर से कुछ और और बाहर से कुछ और बनने पर मजबूर करता है। ऐसा करेंगे तो आप जीवन की बाकी बेहतर चीजों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। यदि आप दूसरों से अच्छा व्यवहार चाहते हैं, तो आपको भी उनके साथ अच्छा व्यवहार करना होगा। किसी को भी भेदभाव का शिकार होना पसंद नहीं है। आपकी उपेक्षा किसी व्यक्ति को डिप्रेशन का शिकार बना सकती है या उसे गलत राह पर ले जा सकती है।

समाज को बेहतर बनाना है तो शुरुआत खुद से करें। दूसरों से मदद की उम्मीद करने से पहले अपनी नियत को वैसी बनाएं। यहां भड़काने वाले बहुत मिलेंगे, जो आपको धर्म, जाति या किसी अन्य आधार पर बांटने की कोशिश करेंगे। लेकिन सामने वाले ने आपका क्या बिगाड़ा है? बुराई की कोई जाति या धर्म नहीं होता।

सबके साथ रहिए, बुरे व्यक्तित्व से दूर रहिए। दूसरों से बड़ा दिखने की चाह आपको और छोटा बना देती है।

- मनीष पुंडीर


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