#तलाश
कहाँ कहाँ घूम आता है मन कुछ #सुकून पाने की प्यास में,
ऐसा क्या नहीं हम में जो है उस ख़ास में।
#उम्मीद का रास्ता मोक्ष तक ले जयेगा ये तो बाद की लड़ाई है,
सफ़र तो ये नासूर है जिसमें इन्तेहाँनो की सीधी चढ़ाई है।
कैसा दौर है क्या दस्तूर है दगा किसी ने की नहीं और सगा कोई रहा नहीं,
#दुनियादारी भी क्या खूब निभी हमने सबकी कदर की पर किसी ने हमें चाहा नहीं।
सावन भी आया पतझड़ भी लौटा पर मैं उस मोड़ पर आज भी वही ठहरा ,
हिसाब भी लगया नुकसान भी समझा पर क्या करूँ मैं #नासमझ जो ठहरा।
अब समझ ये नही आता है ये एहसास लाश है या #तलाश बेजान सी हो चली मेरी ख्वाइशें,
बड़ा चंट है मन मेरा मूड अच्छा देखर बदल देता है फरमाइशें।.
#मनीष_पुंडीर
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