Saturday, April 22, 2017

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढ़वा देने का ये प्रयास है.

#क्यों ???
क्यों है इतनी नफ़रत दिमाग़ में जब दिल ही काफ़ी है प्यार जताने को ??, 
क़भी यूँही मुस्कुरा भी दीजिये क्यों परेशा करे किसी बहाने को ??


चार सांसो की डोर है जिंदगी टूटने से पहले उड़ान तो भरे आसमान की,
ख़ुद से कभी ख़ुद का हाल पूछे ?? करते रहे फिक्र जमाने की....


इतनी भी क्या बेरूखी ख़ुद से के कभी फुरसत को भी फुरसत न हुई हमारे पास आने की ??,
 अजी पहले ख़ुद को चाहों फिर ज़हमत करना किसी और को चाहने की....


क्यों लिए फिरते हो दूसरों की सोच का बोझ बहुत सी यादें बची है बनाने की,
कभी खेल का मज़ा भी क्यों हर वक़्त सोचना दूसरों को हराने की ???
#mani

Wednesday, April 19, 2017

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढ़वा देने का ये प्रयास है.


#इतनी_सी_जिंदगीकाश कभी इतनी सी जिंदगी दे, मेरे अपनों के चहरे पर मेरी वजह से हँसी दे।

थोड़ा वक़्त मिले फिर से बच्चा बन जाने को,एक बार फिर पेड़ से आम तोड़ के खाने को...

एक बार फिर जी जाऊ वो स्कूल न जानें के बहाने को,फिर पापा की साईकल पर जाऊ मैं हर श्याम आइसक्रीम खाने को...

वो रूठे यार मनाने बाक़ी है जिनके होने से ही जिंदगी काफ़ी है, कुछ ख्वाइशें पूरी पर कुछ ख़्याल अभी भी बाक़ी है...

थोड़ी सी और जिंदगी मिले ख़ुद को क़ाबिल करने को,कुछ यादें और मिले खुशियां पुरी करने को..

कुछ वज़ह और दे दिल और दिमाग़ को लड़ने को,अभी तो अकेले चलना सीखा हूँ जिंदगी पड़ी है संभलने को..... #mani
प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढ़वा देने का ये प्रयास है.


#कब_तक
ख़ुद को दूसरों की आंखों से कबतक मोलते रहोगे,
कब तक यूँही ख़ुद पर बाकियों की सोच को ढोते रहोगे।

हर रात ख़ुद से ख्यालों की खुद्खुशी का हिसाब करता हूँ,
 बड़ी अजीब हो चली है जिंदगी हर दिन जीने के लिए थोड़ा थोड़ा मरता हूँ।

उस मुक़ाम तक आ चुका है सब्र मेरा के अब आँसू-हँसी का हिसाब नहीं होता,
अब भुला दिए सारे वो सवालात जिनका जवाब नहीं होता।

पर बात वही रह गयी जहाँ से सुरू की थी आख़िर कब तक......... ???????
#mani

Monday, April 3, 2017

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढ़वा देने का ये प्रयास है.
एक बड़े अंतराल के बाद मैं लौट आया वो क्या कहते है अंग्रेजी में "i m back". अब आ ही गया हूँ तो चलो कुछ बातें करते है.
           #मायाजाल ...... 
   ये लेख सिर्फ एक सोच पर आधारित है किसी व्यक्ति विशेष से इसका कोई मेल नहीं है और अगर आप इसमें खुद को जुड़ा महसूस करते है तो मुबारक हो आप भी मायाजाल के अंदर है.
आजकल " रोटी-कपड़ा और मकान" ये पुराना हो चला है अब नया चला है "वाई-फाई-चार्जर और आराम"  
कहने में कितना अच्छा लगता है न... जियो जी भर के पर वाकई इस बात पर अमल होता है, हम हर वक़्त सोच से घिरे होते है।जैसे जैसे इंसान बड़ा होता जाता है चीज़े भी बड़ा आकार ले लेती है पता ही नहीं चलता स्कूल का सलेबस कब कंपनी के प्रोजेक्ट में बदल जाता है,कब जिदगी नार्मल से फॉर्मल हो जाती है। 
               अगर कुछ देर हम ये "समझदारी" के ढोंग को छोड़ दे तो हम सबको पता होता है के परेशानी क्या है और उसका उपाय भी, पर कौन उतना ध्यान दे अभी तो फिलहाल ध्यान तो इस बात पर है के फसेबूक पर मेरी फोटो पर कम लाइक पर उसकी में ज्यादा कैसे ???  यकीं माने हर दिन नया स्टैटस व्हाटसअप ले लिए दिमाग की नसे फुला देता है। 
       
 इंटरनेट के मायाजाल का ये आलम है के आजकल सबको ये तो पता के ट्विटर पर क्या ट्रेंड कर  रहा है पर ये नहीं पता के घर में क्या चल रहा हैं, एक जमाना था जन 4 दोस्त मिलते थे तो ढेर साडी बातें होती थी अब जहाँ 4 दोस्त मिलते है गर्दन निचे और फोन हाथ में अब दोस्त व्हाट्सएप ग्रुप्स पर मिला करते है। 

        हमारा भी जमाना था जब अच्छे मार्क्स आने
          पर साइकिल का लालच दिया जाता था 
          और वो भी हमे खूब भाता था, 
अब तो iPhone  से निचे बात कहा बनती है 
घर पर भले ही बनियान में हों 
पर DP पर ब्रेंडिंड कपड़ो के साथ ही फोटो लगनी है ।


इस कदर खोये है इस मायाजाल में 
न खाने का होश बचा न नींद की चिंता 
इन्टरनेट पैक कब खत्म है ये कोई भूलता नहीं  
सब गर्दन झुका कर चलते है आजकल हालचाल कोई पूछता नही । 

धन्यवाद 
#Mani 
              

बात करने से ही बात बनेगी...

          लोग आजकल ख़ुद को दूसरों के सामने अपनी बात रखने में बड़ा असहज महसूस करते है। ये सुनने और अपनी बात तरीके से कहने की कला अब लोगों में...