Sunday, March 31, 2024

मामला मलाल का...







हम इंसान हमेशा और अच्छे या ज्यादा की ख़ोज में अपने ही ख्यालों को उम्मीदों की खाद देते रहते है। पर देखा जाए है तो ये एक चक्र ही मैं अपने अनुभव से अपनी बीती बता रहा हूं, आपकी कहानी अलग होगी पर उसमें भी चक्र ही होगा तो अपना चक्र समझो। इंसान आज में बीते कल को ढंग से जीने का एक और मौका चाहता है और आने वाले कल के लिए जानें कौनसी तैयारियां जबकि किसी को कोई अंदाज़ा नहीं कल क्या होगा ?? बचपन में एक कहानी सुनी थी मैंने जब हम स्कूल में होते है तब वक्त होता है शरीर में ताकत होती है पर पैसे नहीं होते, फ़िर जब कमाने लगते है जब ताकत थी पैसा भी था पर समय नहीं था, फिर रिटायर्ड होकर पैसा होता है, समय भी होता है पर शरीर में ताकत नहीं रहती। इतना समझ आता है हमेशा सब कुछ तो एक साथ कभी नहीं मिलेगा सही समय जैसा कुछ नहीं होता, जो इंसान पा लेता है वो उसे फ़िर आम लगने लगता है। 



       जिन्हें आंखे मिली वो नजारों से खोट खोजते है, जिनकी आंखे नहीं है वो बस देखने को तरसे। सबके अपने मलाल है– सबके अपने सवाल है, कोई जवाब ख़ोज रहा–कोई क़िस्मत को कोस रहा। एक बात बता दूं मसले सबके साथ यहां आपके धर्म, जात, औकात, स्त्री पुरुष होने से इसपर कोई फ़र्क पड़ता नहीं, फ़र्क पड़ता है आपके नज़रिए से क्योंकी आपकी कोशिशें और कोई न जानता है न ही उसमें भाग ले सकता है। सबको समझाना आपकी ड्यूटी नहीं है, न ही आप ये कर पाओगे। बस अपने किए और कहे की जिम्मेदारी ले बाकि दुसरे सब अपने हिसाब से ही चीज़े करेंगे। तो अंत में इतना ही कहूंगा दूसरों से तुलना करके अपने मन को दुविधा में मत डालो बल्कि अपने मन को भरोसा दिलाओ के आप भी कुछ बेहतर कर सकते हो, इंसान को दूसरों से ज्यादा इस बात का ध्यान रखना चाइए की वो ख़ुद के साथ अंतर्मन में क्या बात कर रहा है और अपने साथ कैसे बर्ताव कर रहा है।



:–मनीष पुंडीर 

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