Monday, June 26, 2017

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढावा देने का ये प्रयास है.

#हम_न_होंगे_तुम_न_होंगे_गीत_ही_रह_जाना_है.
              क्या ख़ूब होता है संगीत भी हर वर्ग उम्र का अपना एक स्वाद है गानों का, माँ की लोरी हो या बाथरूम में नहाते वक्त की मस्करी दिल के किसी कोने में हर असहास के लिए एक तराना होता ही है।कभी नौकरी की जी हजूरी से थकावट महसूस हो तो "सारी उम्र हम मर मर के जी लिए" सुनो उसे आपके ऑफसी की डेडलाइन या टारगेट पर तो फर्क नहीँ पड़ेगा पर वो सुस्त उदास चेहरा अब आपके होटो के साथ थोड़ी देर के लिए मसगुल हो जयेगा।
                 हज़ारों ही गाने संजो लो अपने प्लेलिस्ट में पर कभी यूँही कभी ऑटो में बैठे "पुकारता चला हु मैं घड़ी घड़ी.... सुन लोगे तो वहीं इंडियन आइडल का ऑडिशन देने लगोगे।मानों न मानों आज भी रहमान का "वंदे-मातरम" रोंगटे खड़े कर देता है, आज भी गोविन्दा का "हीरो जैसे नाच के दिखाऊ पर नाचने का मन करता है, और कभी सफर करते करते हल्की बारिश में एक ठंडा हवा का झोका आपको खिड़की से धपा करता है तो वही ढिंचक फीलिंग आती है "आज मैं ऊपर अस्मा नीचे....आज में आगे जमाना है पीछे।
                 कभी कभी एक गाने के कुछ बोल ही इतना असर कर जाते है जो दवा भी नहीं करती, वो पहला साइकिल के जमाने वाला प्यार जो मासूम होता है तब हर रोमेंटिक गाने में बस उन्ही का चेहरा दीखता है, बचपन में "जंगल जंगल बात चली है पता चला...... " गाते गाते संडे को मोगली देखना। कभी दोस्तों के संग घूमने चले जाओ तो " दिल चाहता है हम न रहे कभी यारो के बिन...... उस सफर को और भी यादगार बना देता है. इतने जमाने आये कितने  कितने गए पर आज भी हर किसी के फ़ोन में किशोर डा .. बरमन सहाब और लता जी की एक ख़ास जगह है। 
बाकि 
ये मेरा व्यक्तिगत है अगर अगर आपके साथ ऐसा नहीं है तो भाई सो जाओ
शुभ रात्रि 😉
#mani

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