Monday, September 15, 2014

भूत वर्तमान और आप पर है भविष्य……………

हम इंडियन नहीं भारीतय है.....!!!

        


 मुझे किसी अन्य भाषा से कोई दिक्कत नहीं है परन्तु मै आप सभी लोगों  को केवल इतना याद दिलाना चाहता हुँ  के हम भारत में रहने वाले भारतीय है,हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है।"सरल स्पष्ट और सुलझी हुई" पर हमारे यहाँ से अंग्रेज़ चले और अपने पीछे अंग्रेजी छोड़ गए,वैसे मेरी कुछ बातें शायद आपको बुरी लगे पर अब हर किसी को करेला पसंद भी तो नहीं आता।जैसे की मैंने ये खुद महसूस किया आजकल अगर लोगों को थोड़ा बहुत हिंदी में दिलचस्पी है तो वो दो ही वजह है पहला हिंदी के बेटे "कुमार विश्वास" की प्रेम पर लिखी कविताओं  से और दूसरा "यो यो हनी सिंह" के रैप पर। तो मेरी यही कोशिश रहेगी दोनों की थोड़ी थोड़ी शैली लेकर आपको अपनी बात बताने की कोशिश करू। 
तो हिंदी के भूतकाल पर नज़र  डालते है चलिए कुछ यादें  आपकी भी ताज़ा करवाते है!!!
      "हिंदी" जब बोलना सीखा था तब पहला शब्द "माँ" ही निकला था
               दादी-नानी के किस्से रात को सोने से पहले बड़े मजे से सुनता था.
                     स्कूल में बचपन की वो चंपक भी तो तेरी ख़ास हुवा करती थी.
                        और कैसे भूल सकता है तू राजा,रानी,चोर,सिपाही की वो पर्ची।


एक वक़्त था जब सुबह आँख कबीर के दोहों  के साथ खुलती थी और रविवार को DD1 पर महाभारत और श्री कृष्णा के श्लोकों का अर्थ दादी-नानी समझाती थी,पर अब हालात कुछ बदले है  "अ आ इ ई" पूरी आती नहीं किसी को पर "A B C D" आजकल एक साँस  में सबको रटे  है।अब सबको वैलेंटाइन डे हमेशा याद है रहता पर हिंदी दिवस की तो लोगों  को जानकारी भी नहीं,मेरे यारों  एक बात याद रखना
               "खुद में कितना भी विदेश ले आ जितना लाना है,पर अंत में लौट के बुद्धू घर ही आना है"। 
                  "घूम तू पूरी दुनिया में पर पाप धोने आखिर में गंगा ही आना है.……
 हम भारतीय बहुत मतलबी हो गए है,कल को अगर मोदी सरकार ने ये योजना खोल दी के जो हिंदी भाषा का प्रचार करने वालों का टैक्स नहीं देना पड़ेगा तो पुरे भारत में अगले ही दिन अंग्रेजी प्रयोग करने पर रोक लग जाएगी।आज सबकी सोच "मै" की हो गयी  है जिस दिन मै  की जगह हम सोचने लगंगे उस दिन देश  विकास की असली सुरुवात होगी। 
              अब हिंदी बोलने वालों  को भारत में अनपढ़ 
समझा जाता है,अब नमस्कार हाई-हेल्लो में बदल गया है।ऐसा नहीं है लोग हिंदी पसंद नहीं करते या बोलने में अटकते है,नहीं बात सिर्फ हिचकिचाहट की है के मै   बोलूंगा तो सामने वाला मुझे कम  समझेगा या उसके सामने इज्जत घट  नहीं जयेगी।अमा यार अब  मोदी जी बाहर  जाकर हिंदी में भाषण दे आये अब भी समझ नहीं आया अच्छे दिनों के लिए हिंदी उतनी ही जरूरी है जितनी अंधे के लिए आँखों की और ठाकुर के लिए रामलाल के हाथों की।बाकि हिंदी हमारी मातृ भाषा है तो कभी माँ को माँ बोलने पर शर्म आई है बाकि हिंदी के साथ ऐसा क्यों??????
                    हाँ उन लोगो के लिए कुछ जरूर कहना बनता है जो ट्रेंड के नाम पर अंग्रेज़ी के शुभ चिंतक' बने बैठे है,इस बात पर कुमार विश्वास जी ने बड़ी अच्छी बात कही 
"ये चकाचौंध की दुनिया ये ग्लैमर ये ट्रेंड सब अमिताब बच्चन के ज़माने  के है,हम हिंदी प्रेमी हरिवंश राय बच्चन की परंपरा के लोग है"
       बाकि  समझदार को इशारा काफी कल के लिए आपको आज से सुरुवात करनी होगी,हिंदी हमारी है उसे उसी तरह अपनाओ जैसे अपनी माँ के लिए मन में आदर का भाव रखते हो,माँ के आशीर्वाद में "जिए तू जुग  जुग" तो हर वक़्त सुना होगा अब आपकी बारी  है।आप आशीर्वाद तो नहीं दे सकते पर इतना जरूर कर सकते हो के आपकी हिंदी माँ युगों-युगों तक फले-फुले और आने वाली पीढ़ी की माँ से "जुग जुग जियो" का आशीर्वाद ही मिले। 

:-मनीष पुंडीर 
  

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