Tuesday, September 16, 2014

दिमाग है सोचने के लिए ना की भेड़ चाल के लिए.…।

आधा सच एक झूठ से भी अधिक खतरनाक होता है..... 


                   
                           जैसे की हम सभी को सामाजिक पशु कहा जाता है,पर वक़्त के साथ साथ लोगो की सोच भी पशुओं  जैसी होती जा रही है।हाल ही में एक घटना ने काफी खलबली मचा दी है "स्वेता बासु" घटना इन्ही से जुड़ी है,इनका नाम कुछ दिनों पहले वेश्यावृत्ति के मामले में सामने आया है।इन्हे एक पांच सितारा होटल से पकड़ा गया,पर इनके साथ जो श्रीमान थे उनका कोई अता -पता नहीं है।अब लोगों तक सिर्फ इतना परोसा गया के ये वेश्यावृत्ति में थी,किसके साथ पकड़ी गयी और कौन कौन जुड़े है इस मामले से??? 
                                      खेर अगर कभी च्यवनप्राश खाया हो तो थोड़ा "स्वेता बासु" के बारे में याद करवा दू ,ये वही है जो मकड़ी फ़िल्म में अपनी बहन  के लिए चुड़ैल  से लड़ी थी और इक़बाल में अपने गूंगे-बहरे भाई की आवाज बनी थी। इनके नाम एक राष्ट्रीय पुरस्कार भी है फिर खबर ये आई के इन्होंने कहा के "मेरे ऊपर घर की जिम्मेदारियाँ  थी इसलिये  मैंने ये कदम लिया"।इनकी ये बात हमारे समाज के गले नहीं उतरी अब उतरे भी कैसे यहाँ  मीडिया की बात पत्थर की लकीर वाला हिसाब है,अब हमारे सामाजिक पशुओं से ये पूछना चाहता हुँ।इंसान की तीन मूल अवकसता होती है रोटी,कपड़ा  और मकान और जब ये तीनों  में से एक की कमी पड़  जाये तो जो उसके बस में होता है उतना वो कोशिश करता है। 
                                       बाकि यहाँ बात वेश्यावृत्ति की बात है,कई देशों  में ये वेश्यावृत्ति को कानूनी तौर पर मंजूरी मिली हुई है।जब आप इस चीज को बढ़वा दे सकते है मरने के बाद अपनी आँखे दान करो,खून दान किया करो.…………………तो वो उसका शारीर है वो अपनी मर्जी से उसके साथ कुछ भी करे।रेप के लिए कैंडल  मार्च करने से कोई अच्छा काम नहीं हो जाता,सोच बदलो अगर नहीं बदल सकते तो इंतजार करो अगले बड़े रेप का और फिर जाना कैंडल लेकर।खुद को कभी उस जगह रख कर देखो जिसपर सब उंगली उठा रहे हो कोई साथ देने को तैयार ना हो,जिसपर बीती हो जिसने वो वक़्त देखा हो के आँसू आँखों में थे पर बाहर  नहीं आने दिए क्युकी दुनियाँ मज़ाक बनायेगी।


                         बाकि आजकल सबकी पसंद सनी लियॉन किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हाँ पहले ये लोगो के कम्प्यूटर के हिडन फाइल्स में छुपा करती थी अब सबके सामने है,मुझे सनी से कोई दिक्क़त नहीं पर और उसे भी अपने बीते कल से कोई शिकायत नहीं है क्युकी वो उन्होंने खुद चुना था।आपको पता लगे के जिसे अपने शादी की उसका रैप हुवा था तो आप क्या करंगे??? में किसी का पक्ष नहीं ले रहा पर आप लोगों  की सोच को मेरा नमस्कार है,कैसे कर लेते है आप ऐसा?? मानना पड़ेगा।जिंदगी फिल्मों की तरह नहीं होती यहाँ किसी विलन की ज़रूरत नहीं पड़ती ये खुद-ब-खुद रुलाती भी है,हँसाती भी है और सिखाती भी है,मजबूरी  बहुत बुरी चीज़ होती है वक़्त आने पर सबकुछ छीन  लेती है। 


  बाकी दो दिन पहले खाई सब्जी आपको याद नहीं रहती तो ये मेरी बातें एक बार पढ़ने  से क्या होगा?? अब मै सब कुछ बदल नहीं सकता पर,इस "मै को हम " करने का प्रयास करता रहूंगा। बाकि जो मेरे मन में एक सवाल अभी घूम रहा है कृपया उस पर अपने विचार दे.…… तो एक अधूरे सच के साथ लोगों ने एक अच्छे कलाकार को खो दिया??? 

:-मनीष पुंडीर 


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बहनें...

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढावा देने का ये प्रयास है.                ...