सच्ची कहानी एक बेटे की जो आज तक फैसला नहीं कर पाया के उसने किसके साथ सही किया माँ या बाप??
कहानी शुरू करने से पहले में आपको थोड़ी जानकारी दे दू उन लोगो की जो इस कहानी में है.
बाप (जगमोहन)
उत्तराखंड के एक गाँव में रहने वाला एक रिटायर बस कंडक्टर जो जवानी की दिनों में जुवे और दारू की लत में इतना घिरा था के बुढ़ापे में उसके बदन पर मॉस कम हड्डिया जयदा दिखती है.अब अपनी बीवी के लिए सारा काम करता है कपडे धोने से लेकर खाना बनाने तक...
माँ (कमला)
जिसने पति की जुवे की लत के चलते जवानी लोगो क घरों का काम काज करके गुजारी है,अब बुढ़ापे में वो उस चीज का बदला ले रही है अब वो सिर्फ हुकुम चलती है,बहुत जयदा अकेलेपन से थोड़ा दिमागी हालत ठीक न होने के कारण खुद में कुछ न कुछ बड़बड़ाती रहती है और हर वक़्त मुह में बीड़ी रखती है.
बेटा(गणेश)
बेटा फ़ौज में है और अपने परिवार के साथ शहर में रहता था,जब जब उसे मौका लगता वो सालों में एक बार अपने माँ-बाप से मिलने गाँव आ जाया करता था,उसने बहुत बार उन्हें अपने साथ रहने की जिद की पर माँ-बाप को गाँव से लगाव था वो नहीं मानते थे।
गणेश की बीवी (रेखा)
वैसे रेखा की अपनी सास से कभी नहीं बनी पर उनको लेकर कभी दुश्मनी की भावना भी नहीं रही,रेखा का सीधा हिसाब था जैसे को तैसा।इनके दो बच्चे थे सबसे बड़ा लड़का (16 साल) और एक लड़की (13 साल)
तो आओे शुरू करते है.....कहानी में आपको गणेश के बेटे के नजरिये से सुनाऊंगा तो ध्यान दिजयेगा
............................ गर्मियों के दिन थे हमारी स्कूल की गर्मियों की छुट्टिया थी,सब एक साधारण सी सुबह की तरह ही था तभी फ़ोन की घंटी बजी माँ ने फ़ोन उठाया बात करते करते उनकी आँखों से एक आंसू की बून्द गिरी वो जोर से चीलाई और रोने लगी और रोते रोते बेहोश हो गयी,हमने ये देखा तो अपनी माँ को संभाला और पानी के छींटे मारे जब उन्हें होश आया तो उनके मुँह से इतना निकला के मेरी माँ नहीं रही सब लोग सन्न थे ये सुनकर। फोन फिर बजा इस बार मैंने फ़ोन उठाया दूसरी तरफ पापा थे,उन्होंने कहा के गाँव से फ़ोन आया था तेरी दादी अब नहीं रही तू अपनी माँ को संभाल में एक-दो दिनों में घर आ रहा हुँ फिर गाँव जाना है। फ़ोन काट के मैंने माँ को चारपाई पर आराम करने के लिए लिटा दिया,उस वक़्त माँ सदमे में थी पर थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुवा के वो एक माँ भी है अगर वो ऐसे रहेंगी तो बच्चों का क्या होगा।वो बिस्तर से उठी और रसोई में दिन के खाने की तैयारी करने लगी जैसे की कुछ हुवा ही ना हो,खेर हम दोनों (मै और बहन ) शांत होकर माँ को देख रहे थे।
दो दिन बाद पापा भी घर आ गये बहन और मैंने उनके पैर छुवे और उनकी तरफ देखा चेहरे पर अजीब सी मायूसी के साथ उन्होंने हमारे सर पर हाथ रखा और फिर माँ ने पापा के पैर छुवे ही थे के माँ से रहा ना गया,वो रोने लगी और पापा के गले लग गयी सबने मिलकर उन्हें चुप किया फिर सब काफी देर चुप-चाप थे जैसे किसी गहरी सोच में डूबे हो।चुप्पी तोड़ते हुवे पापा ने कहा की हम श्याम को ही गाँव के लिए निकलंगे तेरे दादा ने कहा है के हमारे जाने के बाद ही माँ का अंतिम संस्कार करंगे,सबने अपना अपना सामान बाँधा और श्याम को गाँव जाने की सारी तैयारियाँ हो गयी थी। तब हिम्मत करके मैंने पापा से पूछा के क्या हुवा दादी को वो हफ्ते भर पहले ही तो बात हुई थी तब तो ठीक थी अचानक कैसे हो गया ये सब,सब सुनकरपापा ने इतना ही कहा बेटा तेरे दादा का फ़ोन आया था के तेरी दादी नहीं रही जितनी जल्दी हो सके गाँव पहुँचो अब वहीँ जाकर पता चलेगा के क्या हुवा है।
सब बस मै बैठे थे गाँव का सफर शायद इतनी शांति से कभी नहीं हुवा होगा जैसा उस दिन था रात का सफर था,सुबह 8-9 बजे पहुँचना था रात बगेर नींद की युही सनाटे में गुजर गयी। गाँव तक बस नहीं थी उसे 3 km पहले उतर के पैदल रास्ता था रस्ते में पापा समझा रहे थे के सबके पैर छुना और माँ को कहा के रोना मत,रास्ता चढ़ाई वाला था हम धीरे धीरे चल रहे थे गाँव के नीचे पहुंचे तो दादा ने हमे देख लिया था क्युकी गाँव की पहला मकान हम लोगो का ही था।हम भी दादा को देख चुके थे पर उन तक पहुँचने से पहले हमारी नजरों ने जैसे उनसे पूछना शुरू कर दिया क्या हुवा माँ को?? क्या हुवा दादी को???
जैसे ही दादा के पास पहुंचे पापा ने दादा के पैर छूवे और पूछा माँ कहा है,तब दादा ने जो कहा वो सुनकर हम समझ नहीं पाये के हम क्या प्रतिक्रिया करे उन्होंने कहा तेरी माँ जिन्दा है पर बचने की हालत में नहीं है ऊपर वाले कमरे में पड़ी है।ये सुनकर सब उस कमरे की तरफ भागे और अंदर जो हाल दादी का था भगवान किसी दुश्मन का भी वो हाल ना करें उनके सर पर खून की बहती धार सुखी हुई थी,हाथ पाऊ हरकत में नहीं थे उनके बाल खून से लतपथ थे गले और कंधो पर काले चोट के निशान थे और आवाज के नाम पर सिर्फ दर्द में करहाने की आवाज़ आ रही थी।सब देख कर एक बार दिल से निकला इस हालत से अच्छा सुकून से मर जाती तो वो ज्यादा अच्छा होता,पापा ने दादा से पूछा के कैसे हुवा ये सब तो दादा ने कहा तेरी माँ सीढ़ियों से गिर गयी थी................................................... टू बी कॉन्टिनुएड
………… आगे की कहानी पढ़ने के लिए अगले अपडेट का इंतज़ार करे
:मनीष पुंडीर
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