Sunday, September 28, 2014

नीयत का खेल है बस!!!

कर्म और नियत 


                         हने को हम पढ़े लिखे और अच्छी तरह के सभ्य लोगों  में गिने जाते है पर हाथ में महंगा फ़ोन,बदन पर ब्रांडेड कपड़े और मुँह से अंग्रेज़ी की बरसात क्या यही काफ़ी  होता है?????? मन दुखता है जब हम में से ही कुछ पढ़े लिखे अनपढ़ लोगों  को देखता हुँ जो लोगों  को उनके पहनावे शकल और आकार से आंकते है।इन उच्च विचार वाले लोगों के लिए मेरी एक सलाह वो भी मुफ्त,जनाब अगर रंग रूप आपके हिसाब से तय होते तो सब यहाँ एक जैसे होते और फिर अपनी किसी को कोई पहचान नहीं होती।कमी हर किसी में होती है पर जरूरी नहीं उस एक कमी को उजागर करना गलत है,क्युकी ये भी सच है के कमी के साथ साथ हर इंसान में गुण भी होते है।हम खुद को बेहतर बनाने के बजाए आजकल दूसरों की बुरा देखने में ज़यदा विश्वास रखते है।  

                  ये जो बातें  में कर रहा हुँ  ये काल्पनिक नहीं है कल ही की बात है में मेट्रो में सफर कर रहा था सुबह के वक़्त जो सभी के ऑफिस जाने का समय होता है,भिड़ बाकि दिनों से कुछ जयदा थी एक आदमी जो की कपड़ों  से मज़दूर लग रहा था वो गेट के पास ही खड़ा था उसके आसपास के लोग उसे ऐसे दूर होने की कोशिश कर रहे थे जैसे कोई बॉम पड़ा हो फिर अगले स्टेशन पर एक आदमी जो अपने व्यक्तित्व से काफी सुजला और समझदार लग रहा था उसने उस मज़दूर को धक्का दिया और खुद में बड़बड़ाता चला गया के "पता नहीं कहाँ  कहाँ से आ जाते है" इन शब्दों ने उसकी छवि तोड़ दी जो मेरे मन में बनी थी।सिर्फ कपडों से भेदभाव करने वालों को ये बात नहीं भूलनी चाइये के सब बिना कपड़ो के ही इस दुनिया में आते है,खुद को बड़ा दिखाने  के चकर में लोग अपनी सोच के दायरे को छोटा करते जा रहे है। 


                        
                  किसी को देख के मुँह बनाना सिर्फ इसलिए के वो मोटी है,किसी के साथ बैठ के खाना ना खाना क्युकी वो तुम्हारी जात  का नहीं.…………उस लड़की का सोचो जो दिनभर आईने के सामने बैठ खुद को निहारती है सिर्फ इसलिए की लोग उसे बदसूरत कहते है और वो उस एक की तलाश में है जो उसमे खूबसूरती देखें।उस आदमी का सोचो जो कद में बोना है पर ऊँचे सोल वाले जुत्ते पहनता है के कोई उसका मजाक न उड़ाए,एक आदमी जो हकलाता है बोलने में भी डरता क्युकी आजतक जब भी उसने अपनी बात बोलने की कोशिश की है उसका मजाक उड़ाया गया है।मेरे दोस्तों किसी को निराश करना बहुत आसान है पर किसी में एक हिम्मत जगाना और उसे आशावादी बनाना उसे बड़ी  बात है,आपके छोटे छोटे प्रयास किसी की जिंदगी में बड़े बड़े परिवर्तन ला सकती है।  

         बाकि अब थोड़ी मन की शांति के लिए हम जा रहे है अपने उत्तराखंड तो आपको अब मिलेंगे अगले हफ्ते तब तक मुस्कुराते रहे और खुशी  बाँटते रहे.....बाकि रब राखा 

:-मनीष पुंडीर 



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