यादें हमेशा जिंदा रहती है।
कल में अपनी कुछ पुरानी चीज़े ढूंढ रहा था तो अचानक मेरी नज़र पुरानी एल्बम पर पड़ी फिर मन पता नहीं क्यों छोड़ उसे देखने को हुवा मैंने उसे देखना शुरू किया फिर तो यादों का ऐसा सिलसिला शुरू की में उन में डूबता गया। उसमे मेरी तब की तस्वीरें थी जब मुझे तस्वीरों का मतलब भी नहीं पता था,अभी तक सिर्फ सुना था के मैं गुजरात में पैदा हुवा हु पर उन तस्वीरों में मुझे एक बार फिर जिंदा कर दिया।कभी आप युहीं उदास हो या कुछ करने का मन न कर रहा हो तो अपनी पुरानी यादों में झाँक लेना सुकून मिलेगा फिर जब में एल्बम के पेज पलटता गया तो एक फ़ोटो मिली जिन्हे में नहीं जानता था,मैंने पापा से जाकर पूछा तो उन्होंने ज़रा मन मारते हुवे कहा मेरी दोस्त थी जो अब शिमला में है तो मुझे पता लगा के तस्वीरों के साथ यादों में मैं अकेला नहीं था (हाहाहा) पापा भी मेरे साथ थे।
एक कहावत जो हमे बचपन से सिखाई गयी है के वक़्त लौट के नहीं आता पर आप पर है आप उस वक़्त को कितना और किस तरह यादगार बनाते हो,क्युकी यादें बनाने के लिए मज़दूर नहीं लगते वो खुद-ब-खुद बन जाती है।मैंने अक्सर लोगों को फोटो देख मुस्कुराते देखा है याद है जब पापा कडवाचौथ पर घर नही आते थे माँ उनकी फोटो देख व्रत खोलती थी जब हम किसी के छायाचित्र को उसकी उपस्थिति मान सकते है,तो इसी के उलट जब आप कही उपस्थित हो तो उस पल को यादों के सहारे हमेशा के लिए जीवित कर दो।वो गाना तो सुना ही होगा आपने के "हर दिन ऐसे जियो जैसे की आखरी हो"
पर ये सब में अपना या आपका समय गुजारने के लिए नहीं कर रहा हुँ के एक बार पढ़ा अच्छा लगा और अगले दिन भूल गए,बचपन की सारी बातें आपको याद नही रहती पर फिर भी कुछ यादे आपकी दिमाग में धुंदली तस्वीर की तरह होती है,चेतन भगत ने एक बहुत अच्छी बात कही है "जिस दिन आप चले जाओगे तो लोग आपको आपकी सैलरी से याद नही करंगे वो उस वक़्त को याद करेंगे जो उन्होंने आपके साथ हस कर बिताया जब अपने उनके आँसू पोछे होंगे,जिंदगी में कामयाब होना ही सब कुछ नही संतुलन भी जरूरी है क्या फयदा अगर आपकी सैलरी बाकियों से ज़यादा है पर आप हर रत चेन की नींद को तरसते हो क्युकी सुब्हे प्रेज़ेन्टेशन देनी होती है।वो बोनस किस काम का के आप अपनों के साथ त्यौहार ना मना सको,क्या सुकून उस प्रमोशन का जब आपके साथ उसकी खुशी बाटने वाला कोई दोस्त ना हो।
इंसान को उस लम्हे की अहमियत तब ही पता चलती है जब वो याद में तब्दील हो जाता है,मेरे यारो पैसा कमाना भी जरूरी है पर यादें भी आपको ही बनानी है,पैसा तो फिर भी कमा लोगे पर वक़्त को दुबारा कहाँ से लाओगे।वक़्त से बड़ा कोई तोहफ़ा नहीं होता तो जितना हो सके अपनों को वक़्त दो उनके साथ हँसी बांटो,ये मेरी सोच ह आप पर थोपना नही चाहता पर अभी जो ग रहे हो ज़रा याद करना पिछली बार खुल कर कब हँसे थे।तो इन संभल के चलने वालो की जिंदगी में थोड़ा बेफ़िक्री से क़दम हिलाओ और अपने मन की धुन पर खूब नाचो-गाओ, मोदी जी टैक्स नहीं लेंगे क्युकी जब हर एक खुद संतुष्ट और स्वस्थ होगा तो अपने आप हर काम अवल होगा।
:-मनीष पुंडीर
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