बारिश_यादे_अलफ़ाज़
आज आते हुवे रस्ते में बूंदों को गिरते देखा,फिर क्या था यादों ने महफ़िल सी सज़ा ली.…
मानों जमी रूठी हो आसमान से उसी को मानते-मानते झलक आये हो आँसू उसके।
बारिश आती है बूंदों में गाती है हम सुन कर आँखे मूंद लेते है और ख्यालो में भीगते है.…
बस इस बात से अंदाज़ा लगा मेरे सब्र का कुछ ऐसे वक़्त से गुज़र रहे है हम,जो गुज़रता ही नहीं।
हकिम ने जब नब्ज़ देखी मेरी कुछ देर रुककर दुरुस्त बता दिया,फिर जाने क्या जेहन में आया????
पास आकर मेरे मेरी आँखों में झाका और हँस कर मुझे इश्क़ का बीमार बता दिया।
जिंदगी मेरी मुझसे ही लड़ती है फ़िक्र भी करती है और मशवरा भी हर बार एक ही देती है.....
हर बार हारता है है फिर भी लड़ रहा है,उस एक इंसान के लिए तू मुझे क्यों बर्बाद कर रहा है।
सिगरेट का कश अब मज़ा नहीं देता,जाम नशा तो करता है पर यादों से जुदा नहीं करता…
बस अब आलम ये है यादों की जायदाद जो कमा रखी है उन्हें ही खर्च कर गुज़ारा चला रहा हुँ।
मेरी बेफिक्री पर हँसने वालों तुम भी खुश रहना,कोई तुमसे करे मेरा ज़िक्र कभी तो.………
बस तुम कह देना "पागल था हँसता-रोता रहता था,पूछने पर दोनों की वजह एक ही बताता था।
मनीष पुंडीर
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