Monday, October 20, 2014

सही या गलत ???

प्यार के आभाव में .…… 

         जो कहानी अधूरी रह गयी थी उसके बारे में इतना ही कह पाउँगा के जिसकी वो कहानी थी वो नहीं चाहता के वो दुनिया की नजरों में किसी आलोचना का विषय बने,तो उसकी भावनाओँ की कदर करते हुवे में आपको कहानी लिखने का मकसद बताता हुँ।किसी भी इंसान को उसके वर्तमान के हालातों से तोलना सही नहीं है क्युकी जरूरी नहीं जो बचपन हालत या परवरिश आपको मिली है हो वो सबके साथ हो सबकी अपनी एक कहानी है अगर किसी के खास होना चाहते हो तो कुसे समझो उसे सुनो और उसको हिम्मत और साथ दो।
             
                          ये कहानी मेरे सबसे अच्छे दोस्त की है पर वो नहीं चाहता के में इसे आगे लिखू तो उसी की खुसी के लिए सिर्फ इतना समझाना चाहता था के इंसान के जीवन में आगे प्यार अपनेपन और स्नेह का आभाव हो तभी कोई व्यक्ति अपनेआप को अकेला महसूस करता है हमें सिर्फ उनका थोड़ा ख्याल रखना है और उन्हें भी यही चाइये।सिर्फ रोटी कपड़ा और मकान  नहीं थोड़ा अपनों का प्यार उनके होने का अहसास भी  जिंदगी के लिए बहुत जरूरी है,तो सबको खुशिया बांटो लोगों के मन को समझो क्युकी कभी कभी एक चॉकलेट केक वो मुस्कान ला पाता जो एक हाथ से बना ग्रीटिंग कार्ड कमाल कर जाता है। 
                 
                             इंसान की फितरत में गलती करना है तो क्या आप एक गलती के लिए उन्हें खुद से उन्हें खुद से दूर कर लेंगे जाओ उनके पास जिन्हे आप  अपने अहंकार कारण पीछे छोड़ आये है,सोचते तो है उनके बारे में पर खुद के अहंकार से हार कर बस दो हिचकियों में ही वो याद तब्दील होकर रह जाये।कभी जेहन में उठा कर देखना वक़्त के दीवान के अंदर कितनी पुरानी यादों की चादरें पड़ीं है जरा प्यार की धुप दिखाओ उनको और थोड़ी अहम की धूल झाड़ो और सजाओ दिल की दीवारो को खुशियों  आखिर खुशियों का समय है दिवाली भी पास है। 

इसी सिलसिले में कुछ अपने ही अंदाज़ में कहने की कोशिश करूंगा समझ आये तो ठीक वरना समझ लेना अच्छा टाइमपास हो गया। 


"खुद ही खुद में कितना अकड़ेगा तू,जो हो गया वो गुजरा वक़्त था.…… 
उस गलती को अपने दिल के ज़ख्मो पर कितना रगडेगा तू????

तू खुदा नहीं जो सब बदल सके,पर तू इंसान है खुद को बदल सकता है.. 
छोटा मत समझ बस समझ का फर्क है,अँधेरा मिटाने की औकात एक दिया भी रखता है। 

अपने अहम के वहम में कब तक यूँ अँधा बना फिरेगा जन-बुझ कर????
छोटा नहीं हो जयेगा अगर गया तू उसके पास दोस्ती का हाथ बढ़ाने सब भूल कर। 
 
कब-तक ये सोच के काम करेगा के इसमें मेरा फायदा क्या?? जिंदगी व्यापार नहीं है
कभी सूरज ने धुप के लिए पैसे मांगे,कभी पेड़ ने फल से किराया लिया?
कभी फूलों ने कहा के हमारी खुश्बू के लिए पहले पैसे दो,प्रकृति से ही सिख लो यार.… 

हर काम लोभ से करोगे तो एक दिन खुद की खुशी के लिए भी पहले फयदा खोजोगे।"

:-मनीष पुंडीर 








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