#सर्दी_कि_धूप
तू सर्दी कि धूप सा छू जा मेरे ठन्डे पड़े एहसासों पर और उन्हें खुशनुमा करदे,
मै भी खिल जाऊ तेरी गर्माहट से जो तू मुझे बाहों में भरले।
गलत सही से परे सोच की उदेढ़ बुन छोड़ कभी मुझे वो पल दे जो किसी अच्छे बुरे के पैमानों से परे हो,
तेरे हसने की वजह...तेरे रूठने का अंदाज़...हो कुछ आदतें जिनपर सिर्फ हक मेरे हो।
किसी दिन रोक दू सारी कायनात जब तू मेरे साथ हो,मेरी आग़ोश में हो तू बेखोफ ऐसी भी एक रात हो...
जब बातें बेफ़िज़ूल लगे और साँसों में बात हो,सारी शिकायतों का हिसाब हो ऐसी भी एक मुलाकात हो|
इस सर्दी मुकम्ल हो हमारी वो तन्हा काटी ठंड की रातों वाली हसरते......के सुध बाकि न रहे,
इस कदर हो संगम तेरा मेरा के मुझमे खो जाये तू........खुद में तू बाकि न रहे.
:- मनीष पुंडीर
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