Monday, August 31, 2020

अपना सुकून ढूंढिए....


        
                           आजकल रफ़्तार से गुजरते वक़्त से साथ लोगों में फ्रस्ट्रेशन भी बढ़ रहा है, हर कोई परेशान है कुछ आने वाले कल से तो कुछ बीते कल को लेकर। सभी के जीवन में अच्छे बुरे दोनों अनुभव होते है, पर हम याद बुरे रखते है और उन्हें ही याद कर बुरा महसूस करते है। हर कोई सकारात्मक होने का सिर्फ़ दावा करते है, अंदर ही अंदर चिंता से घिरे रहते है।  पर ये कितना सही है ??? आप एक ही चीज़ के अगर दो बार उस उत्साह से खुश नहीं हो सकते, तो एक ही बात के लिए खुद को कई बार दुखी क्यों करते है?? 

                  जिंदगी में उतार चढ़ाव आते रहगे उससे आप भाग नहीं सकते, पर एक चीज़ है जो आप कर सकते है इस दौड़ भाग में अपना सुकून ढूंढ सकते है। बहुत आसान है बस उसे समझने की ज़रूरत है, सुकून वो है जो काम करके आपके दिल को तसल्ली मिलती है। बस उन कामों में वो भाव ढूंढिए जो आपको सुकून दे, जैसे संगीत.... हर किसी के पास अपने पसंदीदा गानों की प्लेलिस्ट होती है। ज़रा आंखे बन्द करके सोचिए बारिश का मौसम आप पहाड़ों के सफ़र में, खिड़की वाली सीट पर कानों में हेडफोन और गाना "रिम झिम गिरे सावन" बस यही तो सुकून है। 
 

                वो क्या कहते है अंग्रेज़ी में "फील गुड" वो बहुत जरूरी है, अपने आपको अच्छा महसूस करवाना सीखो कोई और नहीं करेगा आपके लिए। फील करने की ही तो बात है कुछ लोग पहली चाय की चुस्की में सुकून ढूंढ लेते है, कुछ रात का चांद देख के खुश है तो किसी को उगते सूरज की लाली भाती है। जिंदगी की बैलेंस शीट कभी बराबर नहीं होती, पर सुकून पूछो उस अकाउंट के स्टूडेंट से जिसकी बैलेंस शीट पहली बारी में मिल जाए। 

               फिल्मों में अक्सर दिखाया जाता रहा है जो हीरो होता है उसका बचपन पूरा संघर्ष से भरा होता है, फिर वो उस दर्द को दिल में रखकर बड़ा आदमी बन जाता है। सुनने में अजीब लगेगा वो सब मन में इतना बैठ जाता है कि आप ये सोचने लगते है मेरी जिंदगी में तो सब ठीक है, परिवार में भी सब है... मैंने स्ट्रीट लाईट के नीचे बैठ के पढ़ाई भी नहीं की.. न ही कोई दिल टूटने वाली कहानी है ?? तो मैं तरक्की कैसे करूंगा। तो मेरे दोस्त ये ऊपर की 5-7 लाइनों में आपने जो पढ़ा इसे कहते है "ओवर थिंकिंग" जिसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है, ये आपको इसलिए बताया क्युकी इसे त्यागने से भी सुकून मिलेगा। 


                   हर छोटी छोटी चीजों की खुशी मनाना सीखो, मौके के इंतज़ार में रहोगे ती इंतज़ार ही करते रह जाओगे। भूख लगने पर खाना खाते हो ना, वैसे ही हमारे मन को भी सुकून जरूरी है। काम कभी कम नहीं होगा, जरूरतें हमेशा बढ़ती जाएगी पर उसमें तालमेल आपको ही बिठाना है। तो मेरे दोस्त एक ब्रेक लो 2-3 दिन पहाड़ों में घूम आओ, या छुट्टी लेकर काम से पूरा दिन आराम कर बिताओ । आपको लगता है आपको कोई प्यार नहीं करता, तो एक छोटा पपी ले आओ। आज घर के खाने का मूड नहीं तो बाहर से मंगा लो, आज मूड थोड़ा खराब है तो एक पेग लगा लो। मन में उलझन रखोगे के करू ना करू तो फिर उलझे ही रहोगे, खुद को खुश रखो बाकी जिंदगी में ज़हर घोलने वाले बहुत है...... तो खुश रहिए और उन्हें जलाते रहे।


:- 🖋 मनीष पुंडीर

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