परिवर्तन जीवन चक्र का अभिन्न अंग है, आप भी समय के साथ इसको अपनाते हो। जहां बचपन में अपना हर अच्छा बुरा सही गलत जब तक घर पर आकर बता ना दे चैन नहीं पड़ता था और अब सब आपको आपका दुख बताते है पर आप ने ख़ुद के दुखों को बताना बंद कर दिया क्योंकी आप अकेले नहीं औरों की हिम्मत भी हो। बड़े होते होते एक समय आता है जब घरवालों के मंगाए सामना के बचे हुवे पैसे अपने पास रखना शुरू करते हो और फिर अब जब आप खुद कमाने लगे तो कही कुछ ज्यादा देकर घरवालों के लिए लेना पड़े तो भी ले लेटे है इसलिए नही के वो ले नहीं सकते बल्कि पता है वो उसका रेट सुनकर कभी नहीं लेंगे। पहले जहां खाने में भी नखरे होते थे ये नहीं खाऊंगा, ये सब्जी नहीं चाइए, ये रोटी नहीं पराठा चाइए और अब ज़िद के लिए नहीं जरूरत के लिए खाना खा रहे है।
अब बारिश देखकर पहले जो उत्साह होता था अब वो बारिश के कारण समय पर शिफ्ट पर न पहुंच पाने की चिंता में बदल गया है। वक्त के साथ धीरे धीरे समझ आने लगता है जो जो जीवन में नहीं पा सके वो उतना जरूरी भी नहीं था और वहीं मिला है जो आपके लिए जरूरी था। दोस्ती बड़े होकर ही समझ आती है, दोस्त से हर दिन बात हो ये जरुरी नहीं पर जब बात हो तो फ़िर ऐसा न लगे की ज़माने से बात नहीं हुई। स्कूल कॉलेज में जो जिंदगी भर साथ रहेंगे का वादा बड़े होने के बाद धुंधला रिश्ते भी बड़े होकर ही समझ आते है जब बहनें अब दूसरे घरों को बहु बन जाती है, मां अब जिम्मेदारियों की समझ देने के लिए थोड़ा सख्त हो जाती है और पिता जी अब नरम होने लगते है अपना सब अच्छा बुरा बताने लगते है दोस्त बनकर आप भी अब एक पति और पिता होने के नाते उनकी सुनकर अपनी छुपा लेते हो। बड़े होना आपको सुनने, समझने और सहने की शक्ति देता है जो अनुभवों से आती है। हम बड़े होने के बाद आधा जीवन उस चमत्कार के इंतजार में निकाल देते है ऐसा क्या करदे की घरवालों के सभी कर्ज़ और उनकी इच्छाएं एक साथ पूरी हो जाए बाकी आधी इस शंका में निकाल देंगे क्या मैंने अपने सभी क़िरदार अच्छे से निभाए के नहीं।
बड़े होकर आप दूसरों की सोच को ढोकर नहीं चलते आपको फ़र्क पड़ना बंद हो जाता है कि दुसरे क्या कहेंगे क्यूंकि आप ही उन परिस्थितियों को समझ सकते हो जिन्हें आप जी रहे हो। आपको आंखो के आगे दिख रहा होता है कौन आपका अच्छा कर रहा और कौन चालाकी पर फ़िर भी आप कुछ कहते नहीं क्योंकि आपका किया आपको लौट कर जरूर मिलता है। उम्र और वक्त किसी के लिए नहीं रुकते बस समय के साथ आपके ख्वाइशे और मलाल बदलते रहते है, पर एक चीज़ है जो आपको हमेशा ध्यान रखनी है सब अपनी धूनी पर चलता रहेगा आपसे पहले भी सब चल रहा था इस दुनियां में और आपके जाने के बाद भी चलता रहेगा बस आपको इस मिले समय को अच्छे से जीना है क्योंकि हम सब बड़े हो रहे है...
:-मनीष पुंडीर
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