Sunday, August 4, 2024

दोस्ती...

    
                            

          
 ये एक शब्द के लिए सबके मायने अलग अलग है। पर एक चीज़ जो दोस्ती मांगती है वो है साथ और सच्चाई, दोस्ती बस ट्यूनिंग मिलने से हो जाती है इसमें कोई जात,धर्म लड़का लड़की, कम ज्यादा का मापदंड नहीं होता। उम्र के साथ साथ दोस्तों के मायने भी बदलते रहे, बस में सीट रोकने वाला दोस्त, क्लास में साथ टिफिन खाने वाला दोस्त, साइकिल में पीछे बिठाने वाला दोस्त, पहली बार मनोहर कहानी पढ़ाने वाला दोस्त, दिवाली पर बम फोड़ के फसाने वाला दोस्त, वो तुझे पसंद करती है ये बताने वाला दोस्त, अपने एग्जाम शीट से तुझे पास करवाने वाला दोस्त, सिगरेट का धुवा अंदर लेते है ये बताने वाला दोस्त। स्कूल से तो कबके निकल गए थे पर वो स्कूल वाले कुछ यार आज तक साथ है.

     फिर मेंढक कुवे से बाहर निकल तालाब पहुंचा। मेरठ का ये लौंडा दिल्ली गया कॉलेज पढ़ने वहा की तो आबो हवा पूरी बदली हुई पाई, फ्रेशर्स पार्टी में जब एक कन्या ने साथ पार्क चलने की इच्छा जताई। एक दोस्त वहा भी मिला जिसमे कहा वो तुझे लाइन दे रही थी और तूने साले वो नहीं पटाई, अब कमरा अपना यारों का अड्डा हो गया बाकी कोई किसी के यहा जाता होगा तो फ्रूट्स, जूस या मिठाई ले जाता होगा पर यहां कमरे में जो आता तो उनसे सिगरेट, ठंडे पानी की बोतल और यदि भूख हो तो मैगी के पैकेट या एक आधा एग रोल। यहां भी नए यार मिले गिटार पर चिला चिला कर साथ गाने वाले, दारू में सोडा मिलाकर उसे बियर बनाने वाले यार, एक ही बिस्तर पर चार चार पसर जाने वाले यार, रात को सासी का पता बताने वाले यार, कॉन्ट्री न देने पर बर्तन धुलवाने वाले यार, हमारे कमरे को OYO बनाने वाले यार, फिर घरवालों के आने पर साफसफाई करवाने वाले यार, नशे में बिस्तर पर सुलाने वाले यार, तुम्हारे मुंह पर तुम्हें हुतिया कहने वाले यार, सिगरेट के खाली डब्बो का पिरामिंड बनाने वाले यार, गैस खत्म होने पर फिर उनकी डब्बियो को जला जला कर मैगी बनाने वाले यार, साथ पाने खोने वाले दोस्त दुख में साथ रोने वाले दोस्त किस्से इतने है मैं किताब लिख दूं पर थोड़ा थोड़ा मौके मौके पर मिलता रहेगा।


 दोस्ती को आप कोई टेप लेकर नाप नहीं सकते, दो लोगों में आपस में गजब का तालमेल होता है। जैसा कर्ण और दुर्योधन में था, जैसा कान्हा सुदामा में था, जैसा राम और सुग्रीव में था, जैसा कृष्ण और अर्जुन में था, जैसा अकबर बीरबल में थी, जैसी दौप्रदी संग माधव की थी लोग आपके बारे में क्या राय रखते है वो उनके नज़रिए है पर आपको अपने दोस्त का कभी सारथी होना होता है, कभी उसके गलत में भी साथ देना होता है। कभी बाप बनकर पालेंगे, कभी मां की तरह संभालेंगे, कोई भी तय मायने नहीं होते दोस्ती के जिसके साथ जो वक्त जिया बेहतरीन जिया, कोई दोस्त कम नहीं सब के सब आज भी साथ है बस कभी कभी उन्हें खोने के ख्याल से डर लगता है। आजकल की जिंदगी में दोस्तों से वक्त निकाल के मिल लिया करो वो डिटॉक्स का काम करते है, वो आपको किसी अच्छे बुरे के तराज़ू में नहीं तौलते। जाओ भेजो अपने दोस्तों को ये मैसेज और बताओ उन्हें भी साले टेढ़े है पर मेरे है। 


– मनीष पुंडीर 

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