Wednesday, September 20, 2017

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढावा देने का ये प्रयास है.

#मैं_तरसा_हूँ

मैं तरसा हूँ  हर उस पल को जो जी न सके पर ज़रूरी था,
दोनों की अपनी कहानी थी एक की मोहलत दूसरे की मज़बूरी था।

तेरा जिक्र किये खुद से अकेले में एक अरसा हुवा,
आज सुनले शयद कल ना बोलू जो है दिल में भरा हुवा।

तेरा होना ही काफी होता है मुस्कुराने को, 
बस तू पसंद है अब क्यों परेशान करूँ किसी बहाने को।

तेरे लिए सोच में एक महल बना रखा है,
कभी कभी तो तुझे खुद की नजरों से भी बचा रखा है।

लोगो ने तो यूँही बदनाम किया है मरे तो हम शराफत में है,
बस रहा जाता नहीं..
कहना आता नहीं क्या करे क्या न करे इसी आफत में है।

कभी उस पल को भी तरसा हूँ तेरा नाम तो आया ज़ुबान पर तेरे चहेरे को तरसा हूँ,
आधी रात में खुली आँखो से तेरे लिए दिल-ओ-दिमाग़ से लड़ा हूँ।

बहुत से कहते है दोस्त बहुत अच्छा हूँ पर शयद दूसरों को हसाते हसाते ख़ुद मायूस हो गया हूँ,
शयद खुशियां बाटते बाटते खुद की खुशि के लिए अब मतलबी हो गया हूँ।

:-मनीष पुंडीर

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