Monday, February 26, 2018

फ़ुरसत

#फुरसत
बड़ी मशरूफ है जिंदगी अब उसे मेरे लिए फुरसत नहीं मिलती, 
पहले जो ख़्याल से भी खुश थे अब तो यादों से भी राहत नहीं मिलती।

ना जाने कितने मन मारे हमने भी कुछ जिम्मेदारियों की यारी में, 
कट रही है अपनी भी आधी कमाने में बाकी उधारी में।

कभी बहाने लगा कर ख्वाहिशों को फुसला लिया,
तो कभी वक़्त का बता के दिल को समझा लिया।

सही मौके के चक्कर में मौके खोता गया,
दुनियादारी की दौड़ में मै भी समझदार होता गया।

कुछ को शिकायतें है तो कुछ मलाल लिए बैठे है,
 बहुत थे अरमान मेरे भी कुछ मान गए कुछ अभी भी ऐठे है।
:=मनीष पुंडीर

No comments:

बहनें...

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढावा देने का ये प्रयास है.                ...