Friday, December 25, 2020

ख़ुशी का तराज़ू।

ख़ुशी का तराज़ू....

 दिल को कहां सोचना आता है??
 वो तो बस प्यार चाहता है,
 फ़र्क फितरत का ही तो है वरना,
 कितना मुश्किल है मासूमियत बनाए रखना??

कितनी महंगी होती है खुशियां ??
इस सवाल के सबके अपने मुताबिक जवाब है...
वो जो आपके लिए फ़ालतू हो,
आज भी शायद वो कुछ किसी के लिए  ख़्वाब है।

क्यों नापतोल करना खुशी में,
पैसा लगता है क्या बेफिक्र हंसी में??
सर्दी में धूप की गरमाहट,
मां के कदमों की आहट..
नमकीन से मूंगफली चुन के खाना, 
नहाते वक्त गाना गुनगुना...
ढूंढने निकलोगे तो हज़ार वजह है,
वरना लोग खुश होने के लिए....
आज भी सही वक्त के इंतज़ार में लगे है।

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