जो बाप से ढंग से बात करने में भी हिचकिचाते है, वो भी आज हैप्पी फादर्स डे का स्टेट्स लगा रहे। प्यार जताना है तो उनको बता कर करो, दुनियां को बता कर क्या करोगे। जीवन एक चक्र है पैदा होने से अंतिम समय तक आप अलग अलग क़िरदार निभाते हो, मां के लिए बहुत कुछ कहा जाता है पर पिता को बहुत कम लिखा जाता है। उम्र के साथ साथ बापू के साथ के भाव भी बदलते रहते पहले डर , फ़िर दोस्ती और बाद में चिंता। बाप बनने के बाद बाप समझ आता है, सख्त जरूर है पर बुरा नहीं चहता है।
बहुत से मेरे करीबी है जिनके पिता जी नहीं है, वो खालीपन कोई नहीं भर सकता पर मलाल उनको इस बात का ज्यादा है के जब वो माजूद थे तब उन्हें नहीं जता पाए। मैं सबको यहीं कहना चाहता हूं, मलाल की कोई गुंजाइश मत रखना जो जैसा जितना कर सको उनके लिए करो। किसी को अगर सच में अपनापन जताना चाहते हो तो उसका सबसे सक्षम तरीका है पहला उनसे सच्चे रहो साथ ही उसके लिए बिना उम्मीद करते रहना। जब आप अपने दिमाग को इन उलझनों में फसा देते हो न की मैं करू या नही, उनके बोलूं या नहीं, उनको बताऊं या नहीं। अबे यार वो भी तो इसी चक्र का हिस्सा है उन्होंने भी दादा जी के साथ असमंजस में जीवन बिताया होगा, उनके भी कुछ मलाल होंगे उनसे भी कुछ छूटा तो होगा।
जनरेशन गैप और कोई नहीं आप और हम ही बनाते है, जब आप ये धारण बना लेते हो के हमारे मां बाप इस चीज़ को नहीं समझेंगे। अबे जिन्होंने तुझे पढ़ा लिखा कर इतनी समझ देदी की आज तू उनके समझने पर सवाल उठा रहा है। कोशिश करोगे तो उनको भी समाज में हो रहे बदलाव, बदलती टेक्नोलॉजी, बदलता माहोल समझ में आयेगा। पर खुल के बात करे कौन ??? भई जब तुम बोलना भी नहीं सीखे थे न तबसे वो तुम्हें सीखा रहे है और आज तुम बात करने में हिचकते हो।
आजकल हो यहीं रहा है, परेशानियों के लिए हम सोचते है घर पर जितना छुपा सके उतना अच्छा है। पर जो सलाह उन अनुभवी लोगों से आपको मिल सकती है न वो शायद बाहर से न मिले। तो मन की पीड़ा सब बताया करो घर पर, उसे आपका भी मन हल्का होगा और सामने वाला भी फ़िर आपके सामने अपनी पीड़ा रखेगा। बाकी जो लोग मुझे पहले से पढ़ते आए है, वो जानते है मैं हमेशा यहीं कहता आया हूं एक दिन आपके किसी भी रिश्ते की एहमियत तय नहीं करता।
अगर वाकई उस रिश्ते में लगाव होगा तो वो फिर किसी दिन समय और मौके का इंतज़ार नहीं होता। बाकी अंत में यहीं कहता है तुम शायद जिस ताने और डांट को दिल से लगाए बैठे हो कुछ उसी के लिए तरस रहे...
:–मनीष पुंडीर
1 comment:
True lines..showing mirror of the reality..
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