Saturday, September 19, 2020

घर से दूरी.......


   
                   
         ये सच्चाई है के इंसान के पास अगर सब पहले से हो तो उसकी अहमियत नहीं रहती, जैसे आप एक ऐसे घर में पैदा हुए हो जहां तीन वक़्त का खाना और सर पर छत है तो उसका आभार रखिए। उन चीजों को अपनी किस्मत मान लेना, सही नहीं है क्युकी उसमें आपका योगदान कितना है वो अहमियत रखता है। 

                    घर से दूर रहना भी ज़रूरी है, आप वो सीखते है जो वहां रहकर नहीं सीखा जा सकता। अगर में आपसे ये बात कहूं के आपको एक बेहतर इंसान बनाने के लिए ये फायदेमंद है तो गलत नहीं होगा, घर से दूरी आपको बहुत कुछ सिखाती है। फिर चाहे वो शुरवात में अधपके चावल  हो या फ़िर वो कपड़े धोने का पहला अनुभव, आत्मनिर्भर बनने की पहली सीढ़ी यही है। कभी कभी आप हताश होते हो प्याज़ काटते वक़्त वो आंसू सिर्फ़ प्याज़ की वजह से नहीं होते, एक वक़्त तो सब बेमानी लगता है और घर जाना मोक्ष की भांति प्रतीत होता है। 

                   अनुभव की बात करू तो आप बहुत कुछ सीखते हो, जो सिर्फ़ खाना पकाने या कपड़े धोने तक सीमित नहीं है। ये दूरी आपके व्यक्तित्व को भी निखारती है, आपको नए अनुभव भी होते है जो कि आपको बेहतर इंसान बनने में सक्षम करते है। आप परिवार की अहमियत समझते है, पैसे की भी क़दर महीने के वो आखरी दस दिन सीखते है जब सिर्फ़ इंतज़ार होता है तनख़ा आने का इंतजार। आप दोस्त बनाते हो सही गलत का अनुभव भी करते हो, कुछ फ़ैसले गलत भी होते है जो आपकी समझ को और बढ़ाते है। 

             हिम्मत चाहिए होती है उन घर से दूर बढ़ते क़दमों में जब आप घर के लिए घर से दूर जा रहे होते हो, जिम्मेदारियों का बस्ता और उसमें ढेर सारे यादों के पल लिए निकल पड़ते है अपनी मंजिल की तलाश में। ये सुनने में जितना आसान लगता है उतना ही दिल मजबूत करना पड़ता है, ये बिल्कुल वैसा ही की किसी घने जंगल में आपको अकेला छोड़ दिया है। हर दिन एक नई कहानी होती है कभी कभी आप निराश होते है अकेलापन भी चुबता है, फ़िर आपको ही अपने आपको संभालना होता है आखिर में यही सच्चाई है।


            मेरा ये मानना है कि आपको आत्मनिर्भरता की सही परिभाषा समझनी है तो घर से दूर रहने का अनुभव एक बार जरूर ले, क्युकी ये आपको खुली छूट भी देगा और आपकी परवरिश को भी आजमाएगा। यकीन मानिए आज शायद जों घर में रहकर आपको सामान्य लग रहा है कि ये तो सबके पास होता है, उस "सामान्य" की अहमियत तब समझ आएगी। आपको जो मिला है उसका आभार रखिए और घर से दूर है तो मेरा सैल्यूट स्वीकार कीजिए, हर किसी के बस की बात नहीं होती ये निभाना बाकी तो सबका वक़्त गुजर ही जाना है...

:-🖋 मनीष पुंडीर 

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