Sunday, September 13, 2020

ज़ुबान

              ऐसी बानी बोलिए,मन का आपा खोय |
              औरन को शीतल करे,आपहु शीतल होय |


             ये बचपन में सबने पढ़ा होगा, पर आजतक कोई इसे सच में अपना पाया है??. सबके पास दूसरों को देने के लिए हज़ार सुझाव है,पर ख़ुद के लिए वो कितने लागू होते है यही समझने कि बात है। सब एक अच्छी जिंदगी चाहते है अपनी औकात को हैसियत में बदलने में जुटे है, पर आपका बर्ताव आपको बोली आपका मूल्य दर्शा देती है। आप जिस तरह से लोगों के साथ व्यवहार करते है,उससे आपकी परवरिश और आपका व्यक्तित्व उजागर हो जाता है। 
          
            इसके मूल को समझते ही आपकी बोली हर चीज़ में चार चांद लगा सकती है, फिर चाहे वो आपका काम हो या मेलभाव। कोई नहीं चाहता कि कोई उससे धुत्कारे या बात बात पर नीचा दिखाए, हमेशा याद रखिए दूसरों को हमेशा वैसे ही मिलिए - बोलिए जैसा आप चाहते है लोग आपसे बात करें। बड़े बूढ़े कह गए है "तलवार का घाव एक बार को भर सकता है, पर बोली का घाव कभी नहीं भरता", फिर चाहे वो गुस्से में बोले गए शब्द हो या किसी को जानबूझ कर आहत करने की मंशा। 

              बोलने की कला का अद्भुत उदाहरण आप महाभारत में कृष्ण जी से सीख सकते है, जिन्होंने बिना लड़े पांडवों को विजय दिलवाई। अपने आसपास देखंगे तो पाएंगे कि जिस किराने वाले की दुकान मोहल्ले में सबसे ज्यादा चलती है वो सबसे प्यार से बात करता है, कुछ लोग खुद ब खुद आपकी अच्छे लोगों की लिस्ट में अा जाते है क्युकी वो सिर्फ़ अच्छे से बात करते है। इसका सीधा सम्बन्ध आपकी सोच से होता है जैसा आप सोचते है वैसा ही आप दूसरों तक पहुंचाते है, ये प्राकृतिक है इसे आप बदल नहीं सकते। 

             अगर कभी मौका मिले तो अपनी दादी नानी या किसी भी बूढ़े इंसान के साथ बात करने की कोशिश करना, वो हमेशा आपको प्यार से बात करते हुवे मिलेंगे क्यूंकि वो जीवन के सारे अनुभव कर चुके है और वो समझते है बोली गई बातों की अहमियत। आपके बोली गई अच्छी बात क्या पता किसी की हिम्मत बन जाए, वहीं किसी का मज़ाक बना कर आप शायद किसी को डरपोक बना सकते है। जैसे जीवन एक है उसे अच्छे से बिताए तो मेरे दोस्त जुबान भी एक है अब उसे नमक बनाना है या शक्कर ये आप पर है........
             

:-🖊 मनीष पुंडीर 

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