Thursday, July 23, 2020

उम्मीद नहीं छोड़नी..

प्रयास कुछ बेहतर के लिए..... सबको खुश रहने का हक़ है,अपने दिल की कहने का हक़ है... बस इसी सोच को बढावा देने का ये प्रयास है.


               हम जिस समय मे जी रहे है यहा जल्दी सबको है.. सब अलार्म लगा के सोते है ,जल्दी जल्दी मे खाते है ,पर फिर भी जहा जाना होता है लेट ही पहुचते है। हर रात सोने के लिए हम नींद से नहीं  मोबाईल के चार्ज से लड़ते है जब वो कम हो जाता है तो फिर घड़ी मे 2 बज चुके होते है ,जमाना बदल गया है पहले बड़े बताते थे के वो इतनी मेहनत करते थे के नींद आराम से आती थी पर आज की पीड़ी यानि हम लोग जब जाग जाग के थक जाते है तब सो जाते है। इसी उम्मीद और वादे के साथ के कल से जल्दी मोबाईल साइड मे रखकर सो जाऊंगा,हम इतनी जल्दी मे रहते है उम्मीद भी बड़ी जल्दी छोड़ देते है।  
      

           समस्या सारी शुरू होती है हमारी सोच के साथ के हम जिसके पास हमसे बढ़कर होता है उसे खुद को जोड़ कर खुद को कोसते रहते है पर ये नहीं सोचते है कुछ वो लोग भी है जिनके पास वो भी नहीं जो हमारे पास है,अक्सर इंसान उस चीज की कदर नहीं करता जो आसानी से मिल जाती है जैसे परिवार और घर सुनने मे अजीब है पर सच है। हर कोई खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश करता रहता है पर एक वक्त आता है जब हम कमजोर पड़ जाते उसी वक़्त मे उम्मीद नहीं छोड़नी,क्युकी जिंदगी भी आपको तब तक नहीं जीतने देगी जब तक वो जीतने की जिद नहीं रखोगे। 

        सबसे पूछो क्या हाल तो सब यही जवाब देते है बस कट रही है यार लाइफ काटने के लिए थोड़ी मिली है, हर किसी को कोई एक चाहिए होता है जिसे वो दिल का हाल बता सके और होना भी चाहिए वो खास कोई भी हो सकता आपके परिवार मे से कोई..आपका कोई दोस्त.. आपकी डायरी पर उन सभी बातों को अंदर पलने मत देना कभी कभी हम परेशानी से परेशान नहीं होते बस कोई वो बात सुनले तो सुकून मिल जाता है।ये आजकल व्हतसेप के स्टैटस मे आम हो गया है आजकल किसी ने किसी के लिए वो लगाया किसी और ने कुछ और समझ लिया, तो उस खास को संभाल कर रखिए और खुद को दूसरों से जोड़ के तोलना बंद कीजिय.. 


आखिर मे दो लाईने.. 

दूसरे के महलों को देख मे अपने मकान को कोसता रहा,
मेरे साथ परिवार था ,वो महलों मे अकेला परिवार को सोचता रहा॥ 
धूल मेरी आँखों मे थी और मै पागल बार बार आईना पोंछता रहा.. 


:-🖋 मनीष पुंडीर 




2 comments:

Unknown said...

Behtreen bhai behtreen yeh aaj ki duniya ka sach hai .

Unknown said...

Shaandar

बात करने से ही बात बनेगी...

          लोग आजकल ख़ुद को दूसरों के सामने अपनी बात रखने में बड़ा असहज महसूस करते है। ये सुनने और अपनी बात तरीके से कहने की कला अब लोगों में...