Friday, August 14, 2020

नज़रिया


               हमारी परिस्थितियां ही हमारे नज़रिए का रास्ता तय करती है, वरना एक बच्चा गुब्बारा पाकर खुश होता है तो दूसरा उस गुब्बारे को बेच कर। हर किसी की जिंदगी की अलग कहानी है, कोई सब पाकर भी सुकून ढूंढ रहा है तो किसी को जो मिला उसमें ही सुकून पा लिया। अक्सर लोग कहते है जो होता है अच्छे के लिए होता है, पर जब जीवन में सब बेकार चल रहा हो तो आप चाह कर भी अच्छा नहीं सोच पाते। इसी जगह काम आता है आपका नजरिया, इंसान आधी से जायदा चीज़े सिर्फ़ सोच सोच के बड़ा बना लेता है।

                     एक कहानी से इस तर्क को समझते है, जैसे आजकल अधिकतम लोग वर्क फ्रोम होम पर है। I इसी वर्क फ्रोम होम के चलते,एक पिता अपनी 3 साल की बेटी के साथ ऑफिस का काम निपटाना होता है। जैसे ही वो अपने लैपटॉप पर कुछ काम करते वो नन्ही परी किसी मासूम सवाल के साथ सामने खड़ी मिलती, वो हर बार उसे किसी खिलौने में उलझा देते तो कभी उसे बाद में बताऊंगा कह देते। वो भी रह रह कर अपनी उत्सुकता को सवालों में तब्दील कर फिर लौट आती। तो उसके पापा ने एक तरकीब निकाली के इसे एक ऐसा काम दे देता हूं जिसमें बहुत अधिक समय लगे। 

                   उन्होंने कुछ देर सोचने के बाद एक विश्व का मानचित्र बेटी को दिखाया, फिर उसके 8-10 टुकड़े किये और बच्ची को कहा इसे सही तरीके से जोड़ना है और जब जोड़ लो तो मुझे बता देना। उन्हें लगा की अब वो आराम से काम कर सकते है, 2 मिनट बाद ही वो बच्ची हाथ में वो मेप लिए अा गई। उसके पापा देख के हैरान मानचित्र बिल्कुल सही जुड़ा हुआ था। उन्होंने पूछा की इतनी जल्दी कैसे किया ये, तो उस बच्ची ने बड़े प्यार से जवाब दिया के आपने जो मेप फाड़ा था उसके पीछे मैंने एक ड्राइंग की हुई थी तो मैंने वो जोड़ी तो ये अपने आप सही हो गया। उसके पापा उसकी इस सरलता को सुनकर सोच में पड़ गए, और सोचने लगे कितना मुश्किल काम बस नजरिए ने आसान कर दिया। 

         आपको जो 6 दिखाई दे रहा है वो दूसरी तरफ से किसी के लिए 9 भी हो सकता है। इस बात को अगर सीधे शब्दों में कहूं तो जरूरी नहीं के आप अपनी जगह सही हो, तो इस बात से सामने वाला गलत साबित हो जाता है। हम में से ही कुछ लोग हर चीज़ में दिक्कतें देखते है, साथ ही कुछ कहते है जो होता है अच्छे के लिए होता है। आपके नज़रिए से आपका व्यक्तित्व तय होता है, क्युकी कामयाब लोग कुछ अलग नहीं करते। वो उसी काम को अलग तरीके से करते है, उनका नज़रिया बाकियों से अलग होता है। 

                   बात बहुत सरल है अगर समझे तो, आपके नज़रिए का सकारात्मक और नकारात्मक होना आपकी बहुत सी परेशानियों का हल भी हो सकता है और उसके कारण परेशानी भी ही सकती है। उसके लिए बहुत जरूरी है के आप अपने दिमाग को कैसे सीखा रहे है, तो थोड़ा खुद पर भी वक़्त खर्च कीजिए। अपने आप को बेहतर बनाते रहे क्युकी आपका शरीर और आपका दिमाग ही आपकी असली जायदाद है, सोचना इस बारे में थोड़ा जरूरी है.........
     
           
:- 🖋 मनीष पुंडीर 

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