आज के इस वक़्त में इंसान बदलाव तो चाहता है, पर ख़ुद को बदलना नहीं चाहता. ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे सबको जाना स्वर्ग है, बस मरना कोई नहीं चाहता. एक जगह मैंने एक चीज़ पढ़ी थी आपके साथ भी बांट रहा हूं, जब सतयुग था तो अच्छाई और बुराई दोनों अलग अलग लोक में हुआ करती थी, अच्छे आदमी देव कहलाते थे और बुरे असुर इन्हीं से बना था देवलोक और असुरलोक. उसके बाद त्रेता युग की बात करे जिसमें अच्छाई और बुराई एक ही समाज का हिस्सा थे जैसे राम और रावण, फिर द्वापर युग आया जिसमें अच्छाई और बुराई एक ही कुटुंब का हिस्सा थे जैसे कौरव और पांडव।
अब आज के युग की बात करें तो ये है कलयुग अच्छाई और बुराई अब एक ही शरीर में है, यानी हम सबके अंदर और हम इस सच से भाग नहीं सकते। ये सब बताने की वज़ह जो है वो ये है की दुनियां में अच्छाई की कमी होती जा रही है, आप सिर्फ़ ये सोच के गलत करते है के सिर्फ़ मेरे अच्छा करने से क्या होगा?? तो दोस्त आप अपना योगदान तो दो बाकी अपना करेंगे।
आपकी इस छोटी छोटी अनदेखी से जाने कितने बड़े बड़े नुकसान होते है, आईए इसे और सरल तरीके से समझते है। इसमें आपका कूड़ा खुले में फेकना, नदी तालाब में गंदगी करना, किसी से धर्म - रंग - जाती आदि के आधार पर भेदभाव, सिर्फ़ अपने मज़े के लिए किसी इंसान या जानवर को परेशान करना और बहुत से काम शामिल है। वैसे आपने कभी इस बारे में सोचा है कि आपका फेका एक पॉलीथिन का टुकड़ा किस गाय-कुते या किसी मछली कि जिंदगी छीन सकता है, आपका उड़ाया मज़ाक या तो किसी को डिप्रेशन में कर सकता है या फिर उसे हिंसक प्रवृति का बना सकता है।
अभी कुछ दिन पहले एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा था जिसमें एक लड़की का स्कूटी पर ऐक्सिडेंट हुआ है और वो उसके सर से खून बह रहा है, सड़क पर लोग आ जा रहे है पर कोई उसे नहीं उठा रहा. फिर दो लोग आते है जो किसी मीडिया के थे वो भी उस लड़की का वीडियो बना रहे है अपने कैमरे से पर उसकी मदद नहीं की वो दर्द से छटपटा रही थी. साथ ही जिसने ये सारा वीडियो बनाया वो भी नहीं गया मदद करने, वो सिर्फ़ ये वीडियो बना के सोशल मीडिया पर डाल के खुद को फेमस करने के प्रयास में था। क्या सच में यही इंसानियत है ?????
बातें सब अच्छी अच्छी करते है, समाज में बढ़ती बुराइयों के बारे में। होता क्या है फिर??? मुझे नहीं पता आपमें से कितने लोग इस बात पर भरोसा करते है की इस संसार में सब चीज़े एक दूसरे से जुड़ी होती है, आपके किए कार्य ही आपके जीवन में अच्छे बुरे का संतुलन बनाते है। आपने अक्सर बड़े बूढों को कहते सुना होगा इंसान के कर्म ही आगे आते है, ये बात कितनी सच है ये सब हम जानते है।
आपका व्यवहार आपकी परवरिश दर्शाता है, आपकी आने वाली पीढ़ी भी आपको देख कर ही सीखेगी। आपको अच्छे बेहतर कल के लिए आज ही कोशिश करनी होगी, अपने लिए अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए। पर सवाल ये है की उस पीढ़ी को अच्छा सिखाने के लिए हम कितने सजग है?? विचार कीजिएगा कही देर न हो जाए..........
आखिर में कबीर के एक दोहे के साथ आप लोगों पर छोड़ता हूं की आप इस बात को कैसे लेते है।
"बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।"
धन्यवाद
:- 🖋️ मनीष पुंडीर
2 comments:
Truth of nowadays in very clear words...
Keep going keep writing
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